पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब ने मुंबई हमला मामले में सुनवाई के दौरान न्यायाधीश, पुलिसकर्मियों और अदालत के अधिकारियों को अपनी बुद्धि और समझने की शक्ति से खासा प्रभावित किया था. कसाब ने सुनवाई के दौरान मराठी भाषा चुनी और अपने आस पास के लोगों से मराठी में ही बात की.
आर्थर रोड कारागार में विशेष रूप से बनाई गई अदालत में कसाब द्वारा स्थानीय भाषा मराठी को तुरंत सीखने ने सभी उपस्थित लोगों का ध्यान आकषिर्त किया था. कसाब को बुधवार को पुणे की यरवदा जेल में फांसी पर लटकाया गया.
यह पूछे जाने पर कि क्या उसकी तबीयत ठीक नहीं है, कसाब ने तीन साल पहले अदालत में मराठी भाषा में कहा था, ‘नहीं, नहीं, ताप नहीं (नहीं, नहीं मुझे बुखार नहीं है).’
उर्दू माध्यम वाले स्कूल में चौथी कक्षा की पढ़ाई बीच में ही छोड़ने वाला कसाब मई 2009 में सुनवाई शुरू होने के बाद से थोड़ी-थोड़ी अंग्रेजी और मराठी भाषा बोलने लगा था क्योंकि गवाह, वकील और न्यायाधीश इन भाषाओं में बोलते थे. हालांकि सबूत अंग्रेजी में रिकार्ड किये गये.
कसाब ने मराठी में सबसे पहले ‘तुमही निघुन जा’ (आप जा सकते हैं) शब्द सीखे थे. विशेष लोक अभियोजक उज्जवल निकम ने ये शब्द कसाब को सिखाए थे. कसाब भोजनावकाश के दौरान निकम से मजाक के लहजे में ‘तुमही निघुन जा’ बोला करता था जिसके बाद दोनों हंसने लगते थे.
कसाब अक्सर विशेष अदालत के न्यायाधीश एमएल टहिलियानी से ‘गुड मार्निंग’ बोला करता था. जब गवाह अंग्रेजी में बयान देते थे, न्यायाधीश उससे पूछते थे कि क्या उसे समझ में आया कि क्या बयान दिया गया.
निकम ने कहा, ‘कसाब बहुत बुद्धिमान था और उसमें समझने की अच्छी शक्ति थी. 26/11 साजिशकर्ताओं द्वारा पाकिस्तान में उसे दिए गए सैन्य प्रशिक्षण का इससे संबंध हो सकता है.’
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